भारत की नदियां - Indian GK

Rivers of India







By Aashish Sir                             भारत की नदियां

सतलज नदी 
यह नदी मानसरोवर झील के समीप स्थित राक्षस ताल से निकलती है और इसका अंत चिनाब नदी में होता है। इसकी लंबाई लगभग 1450 किलोमीटर  है। सतलज नदी पर भारत में भाकड़ा नांगल बांध बनाया गया है ।
 
सिंधु नदी (Indus River) 
यह नदी तिब्बत में मानसरोवर झील के पास से निकलती है और अरब सागर में मिल जाती है। इसकी लंबाई 3180 किलोमीटर है। यह नदी चीन, भारत तथा पाकिस्तान में बहती है।

 रावी नदी 
यह नदी कांगड़ा जिले में रोहतांग दर्रे के समीप से निकलती है और चिनाब नदी में मिल जाती है। इसकी लंबाई 720 किलोमीटर है। यह नदी भारत एवं पाकिस्तान में बहती है।

 व्यास नदी 
यह नदी रोहतांग दर्रे के समीप से निकलती है और पंजाब के हरिके बैराज के समीप सतलज नदी में मिल जाती है।  इस नदी की लंबाई 470 किलोमीटर है।

 झेलम नदी 
यह नदी बेरीनाग (कश्मीर) के समीप शेषनाग झील से निकलती है। इस नदी का अंत चिनाब नदी में होता है । इसकी लंबाई 725 किलोमीटर है।

 गंगा नदी 
यह नदी गंगोत्री के पास गोमुख हिमानी से निकलती है। इसका अंत बंगाल की खाड़ी में होता है। यह नदी 2525 किलोमीटर लंबी है। यह  नदी भारत एवं बांग्लादेश में बहती है। बांग्लादेश में यह नदी पदमा के नाम से बहती है।

 यमुना नदी 
यह नदी बंदरपूंछ के पश्चिमी ढाल पर स्थित यमुनोत्री हिमानी से निकलती है। इस नदी का अंत प्रयाग (इलाहाबाद) में गंगा नदी में होता है। इस नदी की लंबाई 1376 किलोमीटर है।

 रामगंगा नदी  
यह नदी नैनीताल के समीप मुख्य हिमालय श्रेणी के दक्षिणी भाग से निकलती है । इस नदी का अंत कन्नौज के निकट गंगा नदी में होता है। इसकी लंबाई 596 किलोमीटर है।

 शारदा नदी अथवा काली गंगा 
यह नदी कुमायूं हिमालय के  कालापानी से निकलती है। इसका अंत बहराम घाट के समीप घाघरा नदी में होता है। इसकी लंबाई 350 किलोमीटर है।

 घाघरा नदी 
यह नदी  तिब्बत की मानसरोवर झील के निकट मापचुंग हिमानी से निकलती है । इस नदी का अंत सारण तथा बलिया जिले की सीमा पर गंगा नदी में होता है। इसकी लंबाई 1080 किलोमीटर है।

 गंडक नदी 
इसे नेपाल में शालिग्रामी तथा मैदानी भाग में नारायणी कहते हैं । यह नेपाल से निकलती है और पटना के समीप गंगा नदी में मिल जाती है । इसकी लंबाई 814 किलोमीटर है।

 कोसी नदी 
यह नदी गोसाईथान चोटी के उत्तर से निकलती है और कारागोला के दक्षिण पश्चिम में गंगा नदी में मिल जाती है । इसकी लंबाई 720 किलोमीटर है।
 यह नदी बिहार में बाढ़ से तबाही मचाती है इसीलिए इस नदी को "बिहार का शोक" भी कहा जाता है।

 बेतवा या वेत्रवती नदी
 मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में कुमरागाँव के समीप विंध्याचल पर्वत से निकलती है । इस नदी का अंत हमीरपुर के समीप यमुना नदी में होता है। यह 490 किलोमीटर लंबी है।

 सोन नदी 
मध्यप्रदेश में अमरकंटक की पहाड़ियों से निकलकर पटना के समीप गंगा नदी में मिल जाती है । इसकी लंबाई 784 किलोमीटर है।

 ब्रह्मपुत्र नदी 
इस नदी को तिब्बत में सांगपो तथा असम में सियांग/देहांग कहते हैं । यह नदी तिब्बत में मानसरोवर झील से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हिमानी से प्रारंभ होती है। इस नदी का अंत बंगाल की खाड़ी में होता है। यह 3848 किलोमीटर लंबी है।

 नर्मदा नदी 
यह नदी विंध्याचल पर्वत श्रेणियों में स्थित अमरकंटक(मध्य प्रदेश) नामक स्थान से निकलती है। इस नदी का अंत खंभात की खाड़ी(अरब सागर) में होता है। इसकी लंबाई 1312 किलोमीटर है। यह नदी  विंध्याचल पर्वत तथा सतपुड़ा पर्वत के बीच बहती है । यह नदी पश्चिम दिशा में बहती है। यह नदी पश्चिम दिशा में बहने वाली तीनों नदियों में सबसे लंबी है। पश्चिम दिशा में बहने वाली अन्य दो नदियां ताप्ती तथा माही है।नर्मदा नदी भ्रंश घाटी (Rift Valley) में बहती है, अतः यह डेल्टा का निर्माण नहीं करती है।  नर्मदा नदी को "मध्य प्रदेश तथा गुजरात की जीवन रेखा" कहते हैं । गुजरात में नर्मदा नदी पर ही सरदार सरोवर बांध बनाया गया है।

 ताप्ती नदी 
यह बेतूल जिला (मध्य प्रदेश) के मुल्ताई नगर के पास सतपुड़ा पर्वत से निकलती है। इसका अंत सूरत के निकट खंभात की खाड़ी (अरब सागर) में होता है। इसकी लंबाई 724 किलोमीटर है। यह नदी पश्चिम दिशा में बहती है। यह नदी नर्मदा नदी के दक्षिण में बहती है।

 महा नदी 
यह नदी छत्तीसगढ़ के रायपुर के निकट सिंहवा पर्वत से निकलती है। इस नदी का अंत कटक के समीप बंगाल की खाड़ी में होता है। इसकी लंबाई 858 किलोमीटर है। इस नदी पर उड़ीसा में हीराकुंड बांध बनाया गया है।

 शिप्रा नदी 
यह नदी इंदौर जिले के  धार नामक स्थान के निकट काकरी बरड़ी नामक पहाड़ी से निकलती है। इस नदी का अंत मंदसौर (मध्य प्रदेश) के निकट चंबल नदी में होता है। उज्जैन नगरी (मध्य प्रदेश) में शिप्रा नदी के तट पर प्रत्येक 12 वर्ष में सिंहस्थ अर्थात कुंभ का मेला लगता है

 तवा नदी 
यह पंचमढ़ी के महादेव पर्वत से निकलती है। इसका अंत नर्मदा नदी में होता है। इसकी लंबाई 117 किलोमीटर है।

 इंद्रावती नदी 
यह उड़ीसा के कालाहांडी जिले के दंडकारण्य क्षेत्र से निकलती है।इसका अंत गोदावरी नदी में होता है। इसकी लंबाई 535 किलोमीटर है ।

सिंध नदी 
यह गुना जिले (मध्यप्रदेश) में सिरोंज के समीप से निकलती है और इटावा उत्तर प्रदेश में  यमुना नदी में मिल जाती है । इसकी लंबाई 470 किलोमीटर है।

केन नदी 
यह नदी विंध्याचल  पर्वत की  कैमूर श्रेणी(जिला कटनी, मध्य प्रदेश) से प्रारंभ होती है और इस नदी का अंत उत्तर प्रदेश में यमुना नदी में होता है ।

कृष्णा नदी 
यह नदी महाबलेश्वर (महाराष्ट्र) के समीप पश्चिमी घाट की पहाड़ियों से निकलती है। इस नदी का अंत बंगाल की खाड़ी में होता है । इसकी लंबाई 1400 किलोमीटर है ।

गोदावरी नदी 
यह नदी महाराष्ट्र के नासिक जिले के दक्षिण पश्चिम में 64 किलोमीटर दूर त्रयंबकेश्वर के पास  ब्रह्मगिरी पर्वत से निकलती है । इस नदी का अंत बंगाल की खाड़ी में गिरकर होता है। इस नदी की लंबाई 1465 किलोमीटर है ।  यह नदी गंगा नदी के पश्चात भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी है। नासिक में इसी नदी के किनारे प्रत्येक 12 वर्ष में कुंभ मेला भरता है।गोदावरी नदी को दक्षिण गंगा के नाम से भी जाना जाता है।

कावेरी नदी 
इस नदी का प्रारंभ कर्नाटक के कुर्ग जिले में स्थित ब्रह्मगिरि पहाड़ी से होता है। इस नदी का अंत बंगाल की खाड़ी में होता है। इसकी लंबाई 805 किलोमीटर है । यह नदी कर्नाटक एवं तमिलनाडु में बहती है। यह नदी गोदावरी एवं कृष्णा नदी के बाद दक्षिण की नदियों में तीसरी सबसे लंबी नदी है। यह नदी तमिलनाडु को उत्तर व दक्षिण भाग में बांटती है। इसे एक पवित्र नदी माना जाता है।

पेन्नार अथवा  उत्तरी पिनाकिन नदी 
यह नदी कर्नाटक के चिक्कबल्लापुर  जिले की नंदीदुर्ग पहाड़ी से निकलती है। इस नदी का अंत बंगाल की खाड़ी में होता है। इसकी कुल लंबाई 597 किलोमीटर है। 

 दक्षिण पिनाकिन नदी 
यह नदी कर्नाटक के चेन्नाकेशव पहाड़ी से निकलती है । इस नदी का अंत फोर्टसेंट डेविड के पास बंगाल की खाड़ी में होता है । इस नदी की लंबाई 400 किलोमीटर है।

दक्षिणी टोंस अथवा तमसा नदी 
मध्य प्रदेश के कैमूर पहाड़ियों में स्थित तमा कुंड जलाशय से निकलती है। इस नदी का अंत इलाहाबाद जिले में सिरसा के समीप गंगा नदी में होता है। इसकी लंबाई 265 किलोमीटर है।

 
पेरियार नदी 
यह नदी   केरल राज्य की प्रमुख नदी है । यह नदी सिवागिरी (सुंदरमाला, तमिलनाडु) से निकलती है। इस नदी का अंत अरब सागर में होता है।  यह नदी "केरल की जीवन रेखा" कहलाती है। इसकी लंबाई 244 किलोमीटर है।

 
उमियम नदी 
यह मेघालय में बहने वाली नदी है। इस नदी पर एक बांध बनाया गया है, जिसके जलाशय को उमियम झील के नाम से जाना जाता है । इसे बारापानी झील भी कहते हैं। 

 
हुगली नदी 
मुर्शिदाबाद (पश्चिम बंगाल)  में  गंगा नदी  की दो धाराएं पद्मा तथा हुगली हो जाती है। पद्मा बांग्लादेश में बहती है तथा हुगली पश्चिम बंगाल में बहते हुए बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है। इसकी लंबाई 264 किलोमीटर है ।

लूनी नदी

इसे साबरमती, सरस्वती, लवणवती, लवणाद्री आदि भी कहते हैं।

 इसका उद्गम स्थल अजमेर की नाग पहाड़ियों (आनासागर झील के पास) से है।

 यह अजमेर, नागौर, पाली, जोधपुर, जालौर जिले में बहती है।

बालोतरा (बाड़मेर) तक इस नदी का पानी मीठा है तथा बाद में खारा हो जाता है।

 इसकी लंबाई 330 किलोमीटर है ।

यह पश्चिमी राजस्थान की सबसे लंबी नदी है ।

इसकी सहायक नदियां लीलड़ी,  सागाई, सुकड़ी, मीठड़ी, जोजरी, जवाई,गुहिया, बांडी, सरस्वती आदि है।

 यह कच्छ के रन में समाप्त हो जाती है।

माही नदी 

इसे बांगड़ की गंगा, कांठल की गंगा, दक्षिण राजस्थान की जीवन रेखा भी कहते हैं।

इसका उद्गम स्थल मध्य प्रदेश के धार जिले के सरदारपुरा के निकट विंध्याचल की पहाड़ियों में मेहद झील है ।

यह नदी मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं गुजरात राज्य में बहती है। राजस्थान में यह बांसवाड़ा व डूंगरपुर जिले में बहती है।

 इस नदी की कुल लंबाई 576 किलोमीटर तथा राजस्थान में इसकी लंबाई 171 किलोमीटर है।

 इसकी सहायक नदियां सोम, जाखम, अनास, चाप, एराव व एरन आदि है।

 बांसवाड़ा के बोरखेड़ा के निकट माही बजाज सागर बांध एवं गुजरात के पंचमहल जिले में कडाणा बांध इस नदी पर बनाया गया है ।

यह खंभात की खाड़ी में समाप्त हो जाती है।

 यह नदी कर्क रेखा को दो बार पार करती है।

 यह नदी छप्पन  के मैदान का निर्माण करती है । जो बांसवाड़ा प्रतापगढ़ के बीच स्थित है ।

डूंगरपुर जिले में बेणेश्वर नामक स्थान पर माही नदी में सोम  जाखम नदी आकर मिलती है । इस स्थल को त्रिवेणी संगम कहा जाता है।

 सोम नदी 

इस नदी का उद्गम स्थल उदयपुर जिले के ऋषभदेव के निकट बावलवाड़ा के जंगलों में स्थित बीछामेड़ा नामक स्थान है।

 यह नदी उदयपुर व डूंगरपुर जिलों में बहने के बाद डूंगरपुर जिले में बेणेश्वर नामक स्थान पर माही नदी में मिल जाती है।

 इसकी सहायक नदियां जाखम, गोमती व सारनी आदि है।

 जाखम नदी 

इस नदी का उद्गम स्थल चित्तौड़गढ़ जिले में छोटी सादड़ी की पहाड़ियों से है।

 यह नदी चित्तौड़गढ़, उदयपुर, बांसवाड़ा व डूंगरपुर जिलों में बहने के बाद बेणेश्वर नामक स्थान पर सोम व माही नदी में मिल जाती है।

 साबरमती नदी 

इस नदी का उद्गम स्थल उदयपुर जिले की कोटड़ी तहसील में अरावली पहाड़ियां है।

 यह नदी उदयपुर जिले में बहने के उपरांत गुजरात में बहती है और खंभात की खाड़ी में गिर जाती है ।

इसकी सहायक नदियां हतमती, वाकल, मातम वेेेतरक है ।

गांधीनगर व साबरमती आश्रम (गुजरात) इसी नदी के तट पर बसा हुआ है ।

पश्चिमी बनास नदी 

इस नदी का उद्गम स्थल सिरोही जिले में अरावली के दक्षिण पश्चिमी ढालो से है ।

यह सिरोही जिले में बहती है ।

यह कच्छ की खाड़ी में समाप्त हो जाती है 

जवाई नदी 

पाली के गौरिया गांव से इसका उद्गम होता है । 

पाली व जालौर जिले में बहकर यह बाड़मेर में लूनी नदी में मिलती है । 

सुमेरपुर (पाली) के निकट इस पर जवाई बांध बनाया गया है।

  जवाई बांध को मारवाड़ का अमृत सरोवर भी कहते हैं।

 चंबल नदी

 इस नदी को चर्मण्यवती,  कामधेनु, बारहमासी नदी भी कहते हैं।

 यह नदी मध्यप्रदेश  के महू नामक स्थान के निकट  विंध्याचल पर्वत से जनापाव की पहाड़ी से निकलती है।

 यह नदी चित्तौड़गढ़, कोटा, सवाई माधोपुर, करौली एवं धौलपुर जिलों में बहती है। 

 यह राजस्थान और मध्य प्रदेश के मध्य सीमा बनाते हुए बहती है। 

राजस्थान में यह नदी चित्तौड़गढ़ जिले में भैंसरोडगढ़ के समीप बेगू नामक स्थान पर प्रवेश करती है । 

यह नदी बूंदी जिले में प्रवेश नहीं करती बल्कि उस की बाहरी सीमा का निर्धारण करती है।

 इसकी सहायक नदियां इस की सहायक नदियां बामणी, बनास, कालीसिंध, पार्वती कुराई आदि है।

इस नदी की कुल लंबाई 966 किलोमीटर है परंतु राजस्थान में इसकी लंबाई 135 किलोमीटर है।

 भैंसरोडगढ़ (चित्तौड़गढ़) के समीप इस नदी पर चूलिया जलप्रपात है।

 इस नदी पर गांधी सागर बांध (मध्य प्रदेश) एवं राजस्थान में राणा प्रताप सागर बांध (चित्तौड़गढ़), जवाहर सागर बांध (कोटा) एवं कोटा बैराज (कोटा) है।

 यह नदी इटावा (उत्तर प्रदेश) जिले में मुरादगंज के समीप यमुना नदी में मिल जाती है। 

यह राजस्थान की एकमात्र बारहमासी नदी है।

यह एकमात्र नदी है जो अंतरराज्यीय सीमा बनाती है। 

यह राजस्थान में सर्वाधिक अवनालिका अपरदन करने वाली नदी है। चंबल के बीहड़ इसके अपरदन के उदाहरण है।

 बनास नदी 

यह नदी वन की आशा, वशिष्ठि कहलाती है।

इस नदी का उद्गम स्थल राजसमंद जिले में कुंभलगढ़ के निकट खमनोर की पहाड़ियां है।

 यह नदी राजसमंद, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, अजमेर, टोंक, सवाई माधोपुर एवं कोटा जिले में बहती है।

 इस नदी की कुल लंबाई 480 किलोमीटर है ।

यह नदी पूर्ण रूप से राजस्थान में बहने वाली राजस्थान की सबसे लंबी नदी है ।

यह नदी रामेश्वर नामक स्थान पर सवाई माधोपुर व कोटा की सीमा के समीप चंबल में मिल जाती है।

टोंक जिले में बीसलपुर बांध इसी नदी पर बनाया गया है।

 इस नदी की सहायक नदियां कोठारी, खारी,बेड़च, मेनाल, बाण्डी, ढूंढ़, माशी, मोरेल आदि है।

भीलवाड़ा जिले में मांडलगढ़ के समीप बिगोद नामक स्थान पर बनास, बेड़च  एवं मेनाल नदियां मिलती है इस स्थान को त्रिवेणी के नाम से जाना जाता है।

 बेड़च नदी 

इसे आयड़ नदी भी कहते हैं।

 यह उदयपुर के निकट गोगुंदा की पहाड़ी से निकलती है ।

इस नदी को उदय सागर झील तक आयड़ के नाम से तथा इस झील के उपरांत बेड़च नदी के नाम से जाना जाता है ।

यह नदी उदयपुर, चित्तौड़गढ़ एवं भीलवाड़ा जिले में बहती है।

 इस नदी की कुल लंबाई 190 किलोमीटर है ।

यह नदी भीलवाड़ा जिले में मांडलगढ़ के समीप बिगोद नामक स्थान (त्रिवेणी स्थल) पर बनास नदी में मिल जाती है ।

इस की सहायक नदियां वामन, गुजरी, गंभीरी है।


 गंभीरी नदी

यह मध्यप्रदेश में जावद की पहाड़ियों से निकलती है।

राजस्थान में यह चित्तौड़गढ़ जिले में बहती है।

यह नदी चित्तौड़गढ़ जिले में उदयपुर की सीमा पर बहती हुई बेड़च नदी में मिल जाती है।

 कोठारी नदी

यह नदी राजसमंद जिले के दिवेर की पहाड़ियों से निकलती है।

यह नदी राजसमंद व भीलवाड़ा जिले में बहती है ।

इस नदी की कुल लंबाई 145 किलोमीटर है।

यह नदी भीलवाड़ा जिले में मांडलगढ़ से 8 किलोमीटर पहले बनास में मिल जाती है ।

भीलवाड़ा जिले में इस नदी पर मेजा बांध का निर्माण किया गया है , जिससे भीलवाड़ा को पेयजल आपूर्ति होती है।

 खारी नदी 

यह नदी राजसमंद जिले के बिजराल ग्राम की पहाड़ियों से निकलती है ।

यह नदी राजसमंद, भीलवाड़ा, अजमेर व टोंक जिले में बहती है।

 इस नदी की लंबाई 80 किलोमीटर है ।

यह नदी टोंक जिले में देवली नामक स्थान पर बनास में मिल जाती है।

 कालीसिंध नदी 

यह नदी चंबल की प्रमुख सहायक नदी है।

 यह नदी मध्यप्रदेश में देवास के निकट बागड़ी गांव की पहाड़ियों से निकलती है।

 यह नदी कोटा व झालावाड़ जिले में बहती है ।

इस नदी की कुल लंबाई 278 किलोमीटर है।

 यह नदी कोटा जिले में नोनेरा नामक स्थान पर चंबल में मिल जाती है।

 इस नदी की सहायक नदियां परवन, नेवज , आहू व उजाड़ आदि है।

 पार्वती नदी

 यह चंबल की सहायक नदी है ।

यह नदी मध्यप्रदेश में सीहोर के पास  विंध्याचल पर्वत माला से निकलकर राजस्थान में बारां जिले के करियाहट के समीप प्रवेश करती है ।

यह बारां व कोटा जिले में बहती है ।

इस नदी की राजस्थान में लंबाई 70 किलोमीटर है।

 यह नदी कोटा जिले में पाली नामक स्थान पर चंबल में मिल जाती है।

 बाणगंगा नदी

 इसे अर्जुन की गंगा भी कहते हैं ।

यह नदी जयपुर जिले की बैराठ की पहाड़ियों से निकलती है।

 यह नदी जयपुर, दौसा व भरतपुर जिले में बहती है।

 इस नदी की लंबाई 380 किलोमीटर है ।

यह नदी उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में फतेहाबाद के निकट यमुना नदी में मिल जाती है।

 इस नदी पर जयपुर के निकट जमवारामगढ़ बांध का निर्माण किया गया है । इस बांध से जयपुर को पेयजल सुविधा उपलब्ध होती है ।

इस नदी की सहायक नदी गंभीरी नदी है।

 गंभीरी नदी 

यह नदी करौली के समीप की पहाड़ियों से निकलती है ।

यह नदी सवाई माधोपुर, करौली, भरतपुर व धौलपुर जिले में बहती है।

 यह नदी उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में यमुना नदी में मिल जाती है ।

राजस्थान में इस नदी की कुल लंबाई 228 किलोमीटर है ।

करौली जिले में गुडला गांव के समीप गंभीरी की 5 सहायक नदियों अटा, भैंसावट, माची, बरखेड़ा व भद्रावती के संगम पर मिट्टी से निर्मित पांचना बांध बनाया गया है।

 घग्गर नदी 

इसे मृत नदी भी कहते हैं।

यह नदी कालका के समीप हिमालय की शिवालिक पहाड़ियों से निकलती है ।

यह नदी हरियाणा व पंजाब राज्य में बहने के बाद हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी के निकट राजस्थान में प्रवेश करती है ।

इस नदी की कुल लंबाई लगभग 465 किलोमीटर है।

यह नदी भटनेर (हनुमानगढ़) के पास रेगिस्तान में विलुप्त हो जाती है। अत्यधिक वर्षा होने पर इसका प्रवाह पाकिस्तान तक चला जाता है । जिसे वहां हकरा के नाम से जाना जाता है।

घग्गर नदी राजस्थान में अंत: प्रवाह की सबसे लंबी नदी है।

घग्गर नदी प्राचीन सरस्वती नदी के मार्ग पर बहती है।

 सिंधु घाटी सभ्यता का प्रमुख केंद्र कालीबंगा का विकास भी घग्गर नदी के किनारे ही हुआ है ।

कांतली नदी

इसे कांटली भी कहते हैं ।

यह नदी सीकर जिले की खंडेला की पहाड़ियों से निकलती है। 

सीकर व झुंझुनूं जिले में बहने के उपरांत चूरू जिले की सीमा के निकट विलीन हो जाती है ।

यह एक बरसाती नदी है।

सीकर जिले में स्थित इस नदी के किनारे ही गणेश्वर की सभ्यता विकसित हुई है।

 यह नदी झुंझुनू को दो भागों में बांटती है ।

इस नदी का बहाव क्षेत्र स्थानीय भाषा में तोरावटी कहलाता है ।

काकनी नदी

 इस नदी को काकनेय,  मसूरदी, मसूदी नदी भी कहते हैं । 

यह नदी जैसलमेर जिले में रामगढ़ के निकट कोठारी गांव की पहाड़ियों से निकलती है ।

यह नदी मीठा खाड़ी में जाकर गिरती है ।

यह  नदी बुझ झील का निर्माण करती है

 यह एक बरसाती नदी है ।

साबी नदी 

यह जयपुर के निकट सेवर पहाड़ियों से निकलती है।

यह नदी जयपुर एवं अजमेर अलवर जिले में बहती है।

 यह नदी राजस्थान में बहने के बाद हरियाणा राज्य के गुड़गांव जिले में विलीन हो जाती है।

मेन्था नदी 

यह नदी जयपुर में मनोहर थाना से निकलकर सांभर झील में गिरती है ।

रूपनगढ़ नाला 

अजमेर के समीप से निकलकर सांभर झील में गिरता है।

 
  

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